ब्यूरो रिपोर्ट:-
बाल अश्लील वीडियो ब्राउज या सर्च करना भी अपराध की श्रेणी में है। किसी भी प्रकार के अश्लील वीडियो शेयर भी नहीं करना चाहिए। यह कहना है कि सीओ साइबर थाना अंकुश मिश्रा का। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसी बच्चों से जुड़े आपत्तिजनक वीडियो शेयर और अपलोड करने वालों की मॉनीटरिंग कर नजर रखती है।
सीओ अंकुश मिश्रा ने बताया कि अश्लील वीडियो ब्राउज करने पर आईटी ऐक्ट की धारा 67 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है। वहीं, बच्चों से जुड़े अश्लील और आपत्तिजनक वीडियो अपलोड करने पर आईटी ऐक्ट 67 बी धारा के तहत मुकदमा दर्ज करने का प्रावधान है। दोनों मामलों में पांच साल की सजा का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि बच्चों से जुड़े वीडियो सार्वजनिक स्थल पर देखना भी अपराध की श्रेणी में आता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच एजेंसी सोशल मीडिया पर नजर रखती है। अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसी भारत से जुड़ा कोई भी मामला संज्ञान में आने पर मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स को कार्रवाई के लिए निर्देशित करती है। इसके बाद मुकदमा दर्ज किया जाता है।
राज्य में कोई प्रकरण लंबित नहीं है : सीओ
देहरादून। सीओ अंकुश मिश्रा ने बताया कि साइबर क्राइम, महिला और बच्चों से जुड़े अपराध की शिकायत के लिए गृह मंत्रालय ने नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल बनाया है। इसमें शिकायत दर्ज की जा सकती है। हाल ही में इसकी समीक्षा हुई थी,जिसमें उत्तराखंड में कोई प्रकरण लंबित नहीं है। शिकायत पर जांच की जा रही है, जबकि किसी पर मुकदमा दर्ज हो चुका है।